मैं यह कहता हूँ कि जो आपको स्वयं के लिए पसंद नहीं वह Behavior दूसरों के साथ भी न करें. बच्चा जब बोलना सिख जाता है, तो यह मान लेना चाहिए कि उसने व्यहवार करना Start कर दिया है. लेकिन उसे Public Behavior की पहली शिक्षा कहाँ से प्राप्त होगी? जाहिर है कि आपका बच्चा Social Behavior के लिए अपने घर को ही School के रूप में चुनने वाला है. अतः बच्चा जब बोलना सिख जाता है तो चीजों को समझने भी लगता है.
प्रत्येक बच्चा अनुकरण (Emulation) करता है या Repeat करता है. यदि आपके घर का माहौल Friendly Social Behavior का Example है तो आपके घर का बच्चा भी उसी को दोहराएगा. लेकिन Unfortunately ऐसा नहीं है तो फिर बच्चे के Behavior में विसंगति उत्पन होना आरम्भ हो जाती है. Public Behavior की पहली पाठशाला आपका घर है. इस प्रथम सिद्धांत का ध्यान आप रखें तो यह सिद्धांत आपके बच्चों के संस्कारित लोक व्यहवार का ध्यान रखेगा.
Positive Thinking Can Change Your “Life” Hindi Story:
मैं एक बच्चे से सम्बंधित एक Interesting संस्मरण यहाँ देना चाहूँगा. तब उसकी उम्र महज ग्यारह साल थी. उसका Birthday गुजरे एक सप्ताह ही हुआ था. उसके पिता एक शाम घर का खर्च का Calculation कर रहे थे. उसकी माँ ने कहा कि रोहन (पुत्र) के Birthday के खाते में एक हज़ार रूपया और लिख लीजिये. रोहन के पिता चौक गये क्योंकि Birthday में हुए खर्च का हिसाब वो लिख चुके थे. तब उसकी पत्नी से जानकारी मिली कि रोहन ने अपने Birthday पर Cricket Club के बच्चों को हज़ार रूपये की Party अलग से दे दी थी. हमारे दुकानदार के Bill में ही वह राशि लिखी हुई थी. सारा Matter समझ कर रोहन के पिता मुस्कुरा उठे. उसकी पत्नी जो ध्यान में उसके चेहरे को देख रही थी, वह उस मुस्कान पर चौक गई. उसने रोहन के पिता से सवाल किया कि क्या आप रोहन के इस हरकत से Angry नहीं हैं? सवाल वाजिब था. लेकिन वो बिल्कुल भी नाराज़ नहीं थे.
फिर उसने रोहन की माँ को बताया कि इन्सान अपनी संतान के Birthday पर स्वयं ख़ुशी मनाता है. अब यदि वही संतान अपने Birthday की ख़ुशी खुद मनाए तो क्या खर्च की चिंता के कारण नाराजगी (Unhappiness) व्यक्त करना उचित होगा?
क्या आप बच्चे की ख़ुशी में ख़ुशी अनुभव करते हैं? क्या आप बच्चे की खुशी को स्वयं Control करना चाहते हैं? क्या यह बेहतर नहीं होगा कि बच्चे के Birthday पर बच्चे से ही पूछा जाए कि वह अपना Birthday किस तरह से मनाना चाहता है? इस तरह हम बच्चों को चयन करने का Authority (Power) देते हैं. उसे निर्णय करने की Freedom देते हैं. इस प्रकार आप अपने बच्चे की ख़ुशी में खुश होते हैं, यह फैसला आप स्वयं कर सकते है.
अपने प्रियजनों को अपनी ख़ुशी में शरीक करने से ज्यादा अच्छा है कि आप प्रियजनों की ख़ुशी में सम्मिलित होने का अंदाज़ सीखें. अंतः यह जीवन की छोटी-छोटी Events ही हैं, जो हमें बतलाती हैं कि हमारा Behavior कैसा होना चाहिए. वह आदमी अपने बच्चे द्वारा किए गए खर्च को फिजूलखर्ची (Extravagance) करार देकर नाराज़ भी हो सकता था. लेकिन क्या ऐसा करना उचित होता? यदि उसके बेटे ने अपनी मर्ज़ी से अपनी खुशी के लिए कुछ खर्च किया था तो क्या उसे अपने बेटे की ख़ुशी का ख्याल नहीं रखना चाहिए था? ज्यादातर मामलों में माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे उनकी ख़ुशी की पूर्ति करें. लेकिन क्या बच्चों की ख़ुशी के अनुसार माता-पिता नहीं चल सकते हैं?
आज के युग में अभिभावक यह समझते हैं कि, “बच्चों को अपना हित-अहित मालूम नहीं है और इसी कारण उनके Future Related Decision भी अभिभावकों ख़ुद ही कर लेते हैं.” एक Doctor चाहता है कि उसका बेटा उसी की भातिं Doctor बने. यदि कोई Doctor अपने Profession में संतुष्ट नहीं है तो वह चाहता है कि उसका बेटा Doctor नहीं बने. लेकिन हम अपने ही बच्चे की Natural Talent के सम्बन्ध में कोई विचार नहीं करते हैं.
इस प्रकार हम अपने ही बच्चे के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं. हम सपना यही देखते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य प्रमुख रूप से धन कमाना होना चाहिए. फिर चाहे उस शिक्षा में बच्चों की रूचि हो या न हो. यहाँ आवश्यक हो जाता है कि हम अपने Behavior को सुधारें और अपने बच्चों को यह आज़ादी दें कि वह अपने Career के सम्बन्ध में अपने Guardian के साथ चर्चा कर सकें. जब तक हम Public Behavior के Rules को घर में लागू नहीं कर सकते, उन्हें दुनिया पर लागू करना भी बेमानी ही होगी…!!!
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