आज मैं आपलोगों के सामने ऐसी बात रखने जा रहा हूँ जो कि जीवन में इस बात को लेकर बहुत सारी दुविधाएँ होती है कि – अपना लक्ष्य कैसे चुने. कभी भी बड़ा आदमी बनने के लिए बड़ा सोच रखना जरुरी है और साथ ही साथ उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कि आवश्यकता होती है. अगर आपकी सोच बड़ी है पर आपकी मेहनत आपके सोच के मुवाफ़िक़ काम है तो आप को सफलता नहीं मिल सकती.
सही लक्ष्य साधिए:
एक Doctor वर्षों Struggle करने के बाद कार-बंगला भी रखता है, सुसज्जित माकन में रहता है, अच्छे वस्त्र पहनता है. बड़े-बड़े आदमी उसके यहाँ आते हैं, उसका वैभव (Glory) हर बात से प्रकट होता है. उसकी तड़क-भडक देखते ही College से निकले हुए एक नए युवक को प्रलोभन होता है कि यदि व्यवसाय है तो डॉक्टर का ही है. दुसरे दिन मोटर कार में घूमते हुए वह Engineer को देखता है, तब उसको विचार होता है कि यदि पेशा अच्छा है तो Engineering का है. उसको सफल प्रयत्न करने वाले नित नए मनुष्य दिखाई देते हैं और उसको नित नई कमाना सताती है. वह असमंजस में पड़ जाता है कि यह पेशा अच्छा है या वह पेशा. उसको इस लुभावनी तड़क-भड़क पर मोहित होने से पहले यह विचार कर लेना चाहिए कि डॉक्टर साहब या इंजिनियर साहब ने उस तड़क-भड़क, मान-मर्यादा को वर्षों कठिनाइयाँ झेलकर प्राप्त किया है. अपने पेशे में सफल होने के लिए उनको न जाने कितने कष्ट उठाने पड़े होंगे; वे एक ही दिन में समृद्धि (Prosperity) को प्राप्त नहीं हो गए थे.लक्ष्य किस प्रकार बनाया जाए, यह एक विचारणीय बात है. प्रश्न यह है कि कौन सा पेशा स्वीकृत किया जाए? अपने बड़े-बूढों की सम्मति से या अपने अंतः करण की प्रेरणा से या मित्रों के कहने से या अपनी प्राकृतिक जन्मस्थिति से अपना Target या Goal बनाना चाहिए? इस प्रश्न का यथार्थ उत्तर देना अत्यंत कठिन है. मेरा मानना है कि सर्वप्रथम अपनी प्राकृतिक जन्मस्थिति को देखते हुए ही अपना लक्ष्य बनाना चाहिए; क्योंकि व्यवसाय की तुच्छता कोई वस्तु नहीं है. एक झाड़ू देने वाला जमादार भी खुश व सुखी हो सकता है, जबकि एक राजकुमार (Prince) वैभव और ऐश्वर्य से घिरा हुआ होता है, वह राजमहल (Palace) में हो रहे अवसरों से पूरा लाभ उठाने के बा-वजूद भी उसे दुःख का अनुभव हो सकता है.
जन्मस्थिति के अतिरिक्त लक्ष्य बनाने में अनुभव भी हमारा सहायक हो जाता है. अंतः करण की पुकार हमें सही मार्ग सही पर ला देती है, परन्तु संलग्नता और एकाग्रता के बिना हमें किसी भी मार्ग पर, किसी भी व्यवसाय में सफलता प्राप्त नहीं हो सकती है.
जीवन में सफलता की कामना करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वे संलग्नता और एकाग्रता की विचित्र शक्तियों को अपने आप में विकसित करें, ठीक उसी तरह जैसे- किसान अपनी फसल की और सांप अपने मणि कि हिफाजत करता है.
आपने बिल्कुल सही कहा। हम सभी को टारगेट पर ध्यान देना चाहिए। टारगेट और गोल यह दोनों ही चीजें हमारें भविष्य की बुनियाद हैं। इसलिए टारगेट पर नजर रखों और गोल सेट करो।
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