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Saturday, 6 February 2016

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Positive Thinking Can Change Your “Life” अच्छी सोंच _जो_ बदल दे आपकी जिंदगी...


Positive Thinking Can Change Your “Life”

अच्छी सोंच जो_ बदल दे आपकी जिंदगी...!!!  
 
मैं यह कहता हूँ कि जो आपको स्वयं के लिए पसंद नहीं वह Behavior दूसरों के साथ भी न करें. बच्चा जब बोलना सिख जाता है, तो यह मान लेना चाहिए कि उसने व्यहवार करना Start कर दिया है. लेकिन उसे Public Behavior की पहली शिक्षा कहाँ से प्राप्त होगी? जाहिर है कि आपका बच्चा Social Behavior के लिए अपने घर को ही School के रूप में चुनने वाला है. अतः बच्चा जब बोलना सिख जाता है तो चीजों को समझने भी लगता है. 
 
प्रत्येक बच्चा अनुकरण (Emulation) करता है या Repeat करता है. यदि आपके घर का माहौल Friendly Social Behavior का Example है तो आपके घर का बच्चा भी उसी को दोहराएगा. लेकिन Unfortunately ऐसा नहीं है तो फिर बच्चे के Behavior में विसंगति उत्पन होना आरम्भ हो जाती है. Public Behavior की पहली पाठशाला आपका घर है. इस प्रथम सिद्धांत का ध्यान आप रखें तो यह सिद्धांत आपके बच्चों के संस्कारित लोक व्यहवार का ध्यान रखेगा.
 

Positive Thinking Can Change Your “Life” Hindi Story:

मैं एक बच्चे से सम्बंधित एक Interesting संस्मरण यहाँ देना चाहूँगा. तब उसकी उम्र महज ग्यारह साल थी. उसका Birthday गुजरे एक सप्ताह ही हुआ था. उसके पिता एक शाम घर का खर्च का Calculation कर रहे थे. उसकी माँ ने कहा कि रोहन (पुत्र) के Birthday के खाते में एक हज़ार रूपया और लिख लीजिये. रोहन के पिता चौक गये क्योंकि Birthday में हुए खर्च का हिसाब वो लिख चुके थे. तब उसकी पत्नी से जानकारी मिली कि रोहन ने अपने Birthday पर Cricket Club के बच्चों को हज़ार रूपये की Party अलग से दे दी थी. हमारे दुकानदार के Bill में ही वह राशि लिखी हुई थी. सारा Matter समझ कर रोहन के पिता मुस्कुरा उठे. उसकी पत्नी जो ध्यान में उसके चेहरे को देख रही थी, वह उस मुस्कान पर चौक गई. उसने रोहन के पिता से सवाल किया कि क्या आप रोहन के इस हरकत से Angry नहीं हैं? सवाल वाजिब था. लेकिन वो बिल्कुल भी नाराज़ नहीं थे. 
 
फिर उसने रोहन की माँ को बताया कि इन्सान अपनी संतान के Birthday पर स्वयं ख़ुशी मनाता है. अब यदि वही संतान अपने Birthday की ख़ुशी खुद मनाए तो क्या खर्च की चिंता के कारण नाराजगी (Unhappiness) व्यक्त करना उचित होगा? 
 
क्या आप बच्चे की ख़ुशी में ख़ुशी अनुभव करते हैं? क्या आप बच्चे की खुशी को स्वयं Control करना चाहते हैं? क्या यह बेहतर नहीं होगा कि बच्चे के Birthday पर बच्चे से ही पूछा जाए कि वह अपना Birthday किस तरह से मनाना चाहता है? इस तरह हम बच्चों को चयन करने का Authority (Power) देते हैं. उसे निर्णय करने की Freedom देते हैं. इस प्रकार आप अपने बच्चे की ख़ुशी में खुश होते हैं, यह फैसला आप स्वयं कर सकते है. 
 
अपने प्रियजनों को अपनी ख़ुशी में शरीक करने से ज्यादा अच्छा है कि आप प्रियजनों की ख़ुशी में सम्मिलित होने का अंदाज़ सीखें. अंतः यह जीवन की छोटी-छोटी Events ही हैं, जो हमें बतलाती हैं कि हमारा Behavior कैसा होना चाहिए. वह आदमी अपने बच्चे द्वारा किए गए खर्च को फिजूलखर्ची (Extravagance) करार देकर नाराज़ भी हो सकता था. लेकिन क्या ऐसा करना उचित होता? यदि उसके बेटे ने अपनी मर्ज़ी से अपनी खुशी के लिए कुछ खर्च किया था तो क्या उसे अपने बेटे की ख़ुशी का ख्याल नहीं रखना चाहिए था? ज्यादातर मामलों में माता-पिता चाहते हैं कि बच्चे उनकी ख़ुशी की पूर्ति करें. लेकिन क्या बच्चों की ख़ुशी के अनुसार माता-पिता नहीं चल सकते हैं? 
 
आज के युग में अभिभावक यह समझते हैं कि, “बच्चों को अपना हित-अहित मालूम नहीं है और इसी कारण उनके Future Related Decision भी अभिभावकों ख़ुद ही कर लेते हैं.” एक Doctor चाहता है कि उसका बेटा उसी की भातिं Doctor बने. यदि कोई Doctor अपने Profession में संतुष्ट नहीं है तो वह चाहता है कि उसका बेटा Doctor नहीं बने. लेकिन हम अपने ही बच्चे की Natural Talent के सम्बन्ध में कोई विचार नहीं करते हैं.
 
इस प्रकार हम अपने ही बच्चे के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं. हम सपना यही देखते हैं कि शिक्षा का उद्देश्य प्रमुख रूप से धन कमाना होना चाहिए. फिर चाहे उस शिक्षा में बच्चों की रूचि हो या न हो. यहाँ आवश्यक हो जाता है कि हम अपने Behavior को सुधारें और अपने बच्चों को यह आज़ादी दें कि वह अपने Career के सम्बन्ध में अपने Guardian के साथ चर्चा कर सकें. जब तक हम Public Behavior के Rules को घर में लागू नहीं कर सकते, उन्हें दुनिया पर लागू करना भी बेमानी ही होगी…!!!
 
 

आपको

Positive Thinking Can Change Your “Life” 

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Friday, 25 December 2015

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Debate Against Media In Hindi

Western Electronic Kingdom ने विस्मयकारी (Amazing) पहुँच प्राप्त कर ली है. Globalization ने इसे विचारधारा के मंच पर ज़ोर दिखाने के लिए बहुत सी मांसपेशियां उपलब्ध करा दी हैं. इसने Satellite और Cable तकनीक से Accelerated International पहुँच प्राप्त कर ली है. पशि्चमी और विशेष रूप से Anglo-American Media ने World Online सेवाओं, Radio और Newspaper और Magazines पर प्रभुत्व प्राप्त कर लिया है. Western Electronic साम्राज्यों के विस्तार के साथ Western Media ने Satellite और Cable तकनीक द्वारा International Market प्राप्त कर ली है.

International Television News का बड़ा भाग Western News संगठनों के द्वारा फैलाया जाता है. इसमें Television News Agency जैसे Right Television, The World Wide Television News और A.P.T.V तथा Satellite और Cable आधारित संगठन जैसे CNN., SKY और B.B.C. World सेवा, इन दोनों प्रकार कि सेवाएँ अपनी विभिन्न Languages पर आधारित सेवाओं के साथ विश्व वायु तरंगों पर छायी हुई हैं.

World की चार News Agency: Associated Press, United Press International, Writers और Agency France Press में से पहली तीन American और British agencies हैं और उनमें चारों World News का लगभग 80% उपलब्ध कराती हैं. Worldwide Employees का जाल रखने के बावजूद ये कंपनियां जानबूझ या अनजाने में, पशि्चमी और विशेष रूप से American और British News एजेंडा रखती है.

इसके अतिरिक्त, India के English Language के सभी बड़े Newspaper और समाचार पत्रिकाएँ Syndicate व्यवस्था का लाभ उठाकर लगातार गर्वपूर्वक पशि्चमी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं से टिप्पणियाँ और Feature छापते रहते हैं. इस प्रकार Western News Organization पशि्चमी हितों को ध्यान में रखते हुए International News एजेंडा तय करने और उन्हें आयोजित करने में बहुत प्रभावकारी होते हैं. यहाँ तक कि स्थानीय समाचार पत्रों को भी बड़े समाचार बाँटने वालों द्वारा अनुवाद की हुई सामग्री पर भरोसा करना होता है और इस तरह वह घरेलू समाचार के उपभोगताओं तक अपना प्रभाव फैला देते हैं. ऐसा केवल India में ही नहीं हो रहा है. पुरे Developing World को वही सब कुछ देखना पड़ता है जो प्रभुत्वशाली पशि्चम दिखाना चाहता है.

बहुत से Indian Newspaper पशि्चमी मुहावरों, उनकी भाषा, समाचार और मूल्यों को अपनाते हैं और उनकी Copy करते हैं.

इस्लामी आतंकवाद (Islamic Terrorism) कि शब्दावली Western News Media ने गढ़ी है. पशि्चमी हितों के प्रति झुकाव रखने के कारण Indian Media में इसकी गूंज सुनायी पड़ती है. हालाँकि केवल यह कह देना कि इस्लाम Terrorism का न तो प्रचार करता है न बढ़ावा देता है, इसे रोकने के लिए पर्याप्त नहीं. कुछ Terrorist अवश्य Islam के पर्दे में शरण लेते हैं और America की ओर झुकाव रखने वाली Media के लिए एक बहाना उपलब्ध कराते हैं ताकि जिहाद (Jihad) को Terrorism का समानार्थी (Synonyms) बताया जा सके.

फिलिस्तीनी (Palestine) क्षेत्रों पर इस्राइल (Israel) का कब्ज़ा और इस्राइल द्वारा संयुक्त राष्ट्र (United State) के प्रस्तावों का लगातार उल्लंघन और America द्वारा मध्य पूर्व में ऊर्जा के स्रोतों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए खुनी खेल कुछ समूहों को हथियार (Weapon) उठाने के लिए प्रेरित करता है. मध्य-पूर्व में होने वाली घटनाओं का समाचार लिखने में Western News Media दोहरे मानदंड अपनाते हैं. इस्राइल द्वारा फिलिस्तीनी क्षेत्रों के कब्जे की अनदेखी की जाती है जबकि फिलिस्तीनी मुसलमानों द्वारा इस हमले का विरोध करना Islamic Terrorism बतलाया जाता है. यह कहने की आवश्यकता नहीं कि विभन्न कौमों द्वारा किए गए अपराधों के बारे में निर्णय करने के लिए समाचार माध्यमों के स्वामी अलग मानदंड रखते हैं.

ये सभी चीजें Islam और Muslim के साथ का शब्द जोड़ने में विशेष हितों कि ओर इशारा करते हैं. आतंकवाद और आतंकवादियों के मामले में इतना अधिक दोहरा मानदंड अपनाने के पीछे कोई न कोई षड्यंत्र अवश्य होगा क्योंकि सिर्फ इस्लाम और मुसलमानों को ही ऐसे Activities को इस्लाम से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है जिस प्रकार Sri Lanka के Hindu Terrorists के Activities के लिए हिन्दुओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. लेकिन Media का यह असंतुलन विकसित Western Countries को कुछ ऐसे लोगों पर Terrorist का आरोप लगाने का अधिकार दे देता है जिनके पास Media नहीं है.

Salman Rushdi ने Islam को अपमानित करने का जो प्रयास किया है उससे मुसलमानों को दुःख होता हो लेकिन Western News Media के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने सलमान रुश्दी का बचाव करना आवश्यक है. Western Countries सलमान रुश्दी का बचाव करते हैं, लेकिन Holocaust का इंकार करने पर David Irwin को जेल भेज देते हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की यह कैसी विडंबना है. United States Of America के अन्दर इस्राइल और उनकी नीतियों कि आलोचना करना लगभग असंभव है. इस तरह के प्रयास करने वाले सभी लोगों के विरुद्ध सामवाद Anti Law के अंतर्गत मुकद्दमा चलाया जाता है. इससे एक बात स्पष्ट है कि Western Countries और Western News Media को भी कुछ विश्वासों कि हर कीमत पर रक्षा करनी होती है.


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Thursday, 3 December 2015

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TERRORISM HAS NO RELIGION In Hindi (आतंकवाद)

मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं और आतंकवादी मुसलमान नहीं हैं.
World के History में, कौन सबसे ज्यादा मासूम लोगों को मार डाला:-
1) "HITLER"
क्या आपको पता है वह कौन था?
वह एक Christian था, लेकिन Media वालों ने उसे कभी भी Christians Terrorists नहीं कहा.

2) "JOSEPH STALIN” जिन्हें लोग “Uncle Joe" के नाम से भी जानते हैं.

उसने 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था जिनमे से 14.5 Million लोग भूखे थे.
क्या वह मुसलमान था? बिल्कुल नहीं !!!

3) "MAO TSE TSUNG (China)" 

उसने 14 से 20 Million निर्दोष लोगों को मार डाला था. 
क्या वह मुसलमान था?

4) "BENITO MUSSOLINI (Italy)"

उसने 400 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

5) " Ashok" 

कलिंग युद्ध में उसने 100 हजार निर्दोष लोगों को मार डाला था.
क्या वह मुसलमान था?

6) George Bush 

उसके द्वारा IRAQ में घाटबंधी (Embargo) डाला गया था उसने अकेले 1/2 Million Children को IRAQ में मार दिया था !!!

कल्पना कीजिए कि इन लोगों को Media द्वारा कभी भी आतंकवादी नहीं बुलाया जाता है.

क्यों???

आज बहुत से गैर-मुसलमानों को "JIHAAD" शब्द सुनने से ही डर लगने लगता हैं. “JIHAAD” एक Arabic Word है, जिसका स्रोत “JAHADA” है. जिसका Meaning प्रयास करना, संघर्ष करना "To Strive" या "To Struggle" बुराई के विरुद्ध न्याय के लिए लड़ना होता है. इसका यह मतलब नहीं होता है कि निर्दोष लोगों कि हत्या कि जाए.

“JIHAAD” को इस तरह भी Defined किया जा सकता है कि " बुराई के साथ नहीं बल्कि बुराई के खिलाफ खड़ा होना ”

अगर आप अभी भी यह सोचते हैं कि Islam ही Problem है? 

तो जरा गौर से पढ़ें:
1. First World War में, 17 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
2. Second World War में, 50 से 55 Million लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
3. NAGASAKI Atomic Bombs (परमाणु बम) धमाके में 2 लाख लोग मारे गये
(गैर-मुस्लिम के कारण).
4. VIETNAM के युद्ध में 5 Million लोगों का कत्लेआम किया गया 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
5. BOSNIA/KOSOVO के युद्ध में 5 लाख से अधिक लोग मारे गये 
(गैर-मुस्लिम के कारण)
6. IRAQ में युद्ध: (अब तक) 1 करोड़ 20 लाख लोगों की मृत्यु
(गैर-मुस्लिम के कारण).
7. AFGHANISTAN, IRAQ, PALESTINE, BURMA इत्यादि देशों में बहुत से मासूम लोगों मरे गये जिनकी कोई गिनती नहीं हो सकती है 
(गैर-मुस्लिम के कारण).
8. Cambodia (1975-1979) में लगभग 3 Million लोगों की मृत्यु हुई थी 
(गैर-मुस्लिम के कारण).

किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह कोशिश होनी चाहिए कि Double Standards Killings System को ही हटा दिया जाए.


“कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता
मासूमों को मरना, खून बहाने का सबक नहीं सिखाता
हिंदू हो या मुस्लमान, सिख हो या ईसाई, सब अमन चाहते हैं
कोई मजहब आतंक फ़ैलाने का सबक नहीं सिखाता”



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